Tuesday, January 26, 2010

सभी देशवासियों को ६१ वे गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमाराहम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा
गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन मेंसमझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा
परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ कावो संतरी हमारा, वो पासवां हमारा
गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँगुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनां हमारा
ऐ आब-ए-रौंद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझकोउतरा तेरे किनारे, जब कारवां हमारा
मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखनाहिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्तां हमारा
यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गए जहाँ से ।अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशां हमारा
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारीसदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा
'इक़बाल' कोई मरहूम, अपना नहीं जहाँ मेंमालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहां हमारा
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमाराहम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा

सभी देशवासियों को ६१ वे गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं। जय हिंद!