Tuesday, November 3, 2009

5 अक्टूबर से 26 मई, 2010 तक मंगल राशि कर्क में ही रहेंगे जो अशुभ फलदायी है


अराजकता, उन्माद और दुर्घटनाओं के पीछे किसी अन्य कारक को दोषी मान रहे हों तो धारणा बदल लीजिए। ज्योतिषियों का मानना है कि इन सारी घटनाओं के पीछे नीच की राशि कर्क में चल रहे मंगल ग्रह का हाथ है। मंगल की खुराफात व साजिश में नीच राशि में चल रहे कुछ अन्य ग्रह भी बढ़चढ़ कर उसका साथ दे रहे हैं।
लाल रंग का मंगल शुभ का प्रतीक माना जाता है। यह पराक्रम देने वाला भी है लेकिन यदि नीच राशि में हो तो अशुभ का बड़ा कारक बन जाता है। समाज में अराजकता, उन्माद के साथ ही दुर्घटनाओं का बढ़ना अशुभ मंगल के कारण ही होता है और वर्तमान में ग्रह मंगल की स्थिति अशुभ चल रही है। मंगल अपने से काफी नीच राशि कर्क में विचरण कर रहे हैं। लाल रंग के मंगल ग्रह को रक्त का संवाहक भी बताया जाता है लेकिन यदि मंगल की दृष्टि वक्री हो तो वह खून भी बहाता है। अशुभ करने में मंगल ग्रह का साथ नीच राशि में चल रहे गुरु, सूर्य, शुक्र ग्रह भी दे रहे हैं।
वर्तमान में बृहस्पति [गुरु] की चाल भी वक्री है। बृहस्पति राहू के साथ मिलकर गुरु चांडाल योग बना रहे हैं। जो जातक के मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव डाल रहा है। इसी प्रकार नीच राशि के शुक्र के साथ शनि है, मंगल के साथ केतु हैं। नीच के सूर्य के साथ बुध हैं जो अशुभ फल दे रहे हैं।
ग्रह नक्षत्रम् ज्योतिष शोध संस्थान के निदेशक व ज्योतिषाचार्य आशुतोष वाष्र्णेय के अनुसार मंगल-केतु अग्नि तत्व हैं। दोनों का एक साथ कर्क राशि में मिलन विध्वंसकारी होता है। उनके मुताबिक आम तौर पर मंगल ग्रह एक राशि में लगभग डेढ़ माह तक रहता है किन्तु अबकी पांच अक्टूबर से लेकर 26 मई, 2010 तक करीब आठ माह नीच राशि कर्क में ही रहेंगे जो अशुभ फलदायी है। इस समयावधि में अराजकता और दुर्घटनाएं बढ़ सकती हैं। जिसकी कुंडली में मंगल कमजोर होगा वह जातक कुछ ज्यादा प्रभावित होंगे। नीच मंगल कष्ट पहुंचायेगा।
नीच मंगल का राशियों पर प्रभाव
मेष-कष्ट और शत्रुभय
वृष-सुख, धन लाभ
मिथुन-धन हानि, नेत्र कष्ट कर्क-अज्ञात भय, पीड़ा
सिंह-रोग और शोक
कन्या-सभी सुख, लाभ
तुला-मिश्रित भाव
वृश्चिक-रोग देगा
धनु-बुद्धि भ्रम
मकर-कार्य व धन हानि
कुंभ-सुख, लाभ
मीन-धन हानि, रोग भय
[जिनकी कुंडली में मंगल अकारक होगा, अशुभ स्थान पर बैठा होगा उन्हें कष्ट प्राप्त होगा]
दुष्प्रभाव से बचने के उपाय
मेष-मूंगा धारण करें
वृष-हनुमान जी की पूजा करें मिथुन-मंगल स्त्रोत पाठ करें कर्क-मोती, मूंगा धारण करें
सिंह-सूर्य को अ‌र्घ्य दें
कन्या-भ्राता को लाल रंग की वस्तु भेंट करें
तुला-गुड़ का दान करें
वृश्चिक-मूंगा धारण करें
धनु-सुंदरकाण्ड की पुस्तक मंदिर में दान करें
मकर-लाल वस्तु का दान करें कुंभ-हनुमान जी की पूजा करें मीन-मंगल यंत्र की पूजा करें

**साभार --- जागरण